The Kerala Story Controversy : 'अल्लाह ही इस दुनिया में एकमात्र भगवान है' केरल में धर्मांतरण की शिकार लड़कियों की असली कहानी
The Kerala Story Controversy : 'अल्लाह ही इस दुनिया में एकमात्र भगवान है' केरल में धर्मांतरण की शिकार लड़कियों की असली कहानी
kerala Film Story : केरल में हिंदुओं के धर्मांतरण की खबरें कई साल से आ रही हैं। 2016 में एक रिपोर्ट आई थी कि पांच साल में 6000 लोगों ने इस्लाम अपना लिया। केरल स्टोरी फिल्म आने से एक बार फिर मामला गरम है। 2011 की जनगणना के मुताबिक केरल में 55 प्रतिशत हिंदू और 27 प्रतिशत मुस्लिम आबादी रहती है। पढ़िए धर्मांतरण की शिकार केरल की लड़कियों की असली कहानी।
नई दिल्ली: क्या केरल में धर्मांतरण का रैकेट चल रहा है? 'द केरल स्टोरी' फिल्म सामने आने के बाद यह सवाल पूरे देश में पूछा जा रहा है। इस फिल्म में केरल की 32 हजार महिलाओं का धर्मांतरण कराने और आतंकी संगठन ISIS में शामिल कराने की कहानी दिखाई गई है। फिल्म रिलीज होने से पहले ही विरोध शुरू हो गया था। दावा किया गया है कि जबरन मुसलमान बनाकर महिलाओं को सीरिया भेजा गया। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। इस पर सियासत भी खूब हो रही है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर और केरल के मुस्लिम युवा लीग ने कहा है कि 32 हजार लड़कियों का धर्म बदलवाकर सीरिया भेजा गया, यह साबित कर दीजिए तो एक करोड़ रुपये इनाम दिया जाएगा। ऐसे में लोगों के मन में काफी भ्रम पैदा हो गया है। यह जानना जरूरी हो जाता है कि केरल की असली स्टोरी क्या है? वैसे, यह बता दें कि रिलीज के कुछ दिनों के भीतर ही फिल्म 100 करोड़ कमाई की तरफ तेजी से बढ़ी है। कई राज्यों में इसे टैक्स फ्री कर दिया गया है जिससे दर्शक बढ़े हैं।
फिल्म की कहानी से इतर ABP न्यूज की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि केरल में 'कन्वर्जन फैक्ट्री' चल रही है। कई जिलों में लड़कियां सामने आई हैं और उन्होंने बताया कि कैसे यह खेल चल रहा है। धर्म को टारगेट कर लड़कियों को कन्फ्यूज किया जाता है। कुछ लड़कियों की शादी हो चुकी है, कुछ के परिवार ने छोड़ दिया है, पति छोड़कर चला गया है। केरल के कई जिलों में धर्मांतरण की डरावनी कहानी सुनने को मिलती है। केरल स्टोरी के डायरेक्टर सुदीप्तो सेन का दावा है कि फिल्म में दिखाया जाने वाला हर शॉट सही है और उसका प्रूफ भी उनके पास है। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि केरल में धर्मांतरण के पीछे क्या लव जिहाद का ऐंगल है?
अनखा बन गई अमीरा और श्रुति बनी रहमत
केरल की अनखा कैमरे के सामने बोलने के लिए तैयार हुईं। धर्मांतरण के बाद उन्हें आइमा अमीरा नाम दिया गया था। उन्होंने बताया, 'उन लोगों को जैसे ही पता चलता था कि उनके धर्म में किसी की रुचि है वे अपने आप ज्ञान देना शुरू कर देते थे।' अनखा ने बताया कि उन्होंने मुझे अल्लाह के बारे में बताया कि वही इस दुनिया में एकमात्र भगवान हैं। पैगंबर मोहम्मद और कुरान के बारे में जानकारी दी गई। धीरे-धीरे उनकी बातों का मुझ पर असर होने लगा क्योंकि वे सब एक ही जैसी बातें करते थे। यह 2018 की बात है। अनखा ने एबीपी को बताया, 'धीरे-धीरे मुझे लगने लगा कि इस धर्म में कुछ खास है।' ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या केरल में टूलकिट के तहत लड़कियों का धर्मांतरण कराया गया?
श्रुति को नया नाम रहमत मिल गया था। उन्होंने फिल्म का ट्रेलर देखने के बाद कहा कि जो कुछ फिल्म में लड़कियां बोल रही हैं, वो सही है। कासरगोड की रहने वाली श्रुति ने कैमरे के सामने बताया कि 10 साल पहले उन्होंने धर्म बदल लिया था। उन्होंने अपनी कहानी बताते हुए कहा, 'मैं एक ब्राह्मण परिवार में पैदा हुई। ग्रैजुएशन में ज्यादातर क्लासमेट मुस्लिम लड़कियां थीं। उन लोगों से मैं इस्लाम को लेकर प्रभावित हो गई। इस्लाम मत के बारे में वो ज्यादा से ज्यादा बता रहे थे... पहले वे लोग मेरे हिंदू धर्म के बारे में बहुत सवाल पूछते थे। उन सवालों का जवाब मुझे मालूम नहीं होता था। मैं टीवी पर ओम नम: शिवाय और जय हनुमान जैसे सीरियल से काफी कुछ जानती थी। लेकिन इतने सवाल थे कि मैं सबके जवाब नहीं दे सकती थी। इस चीज का मेरे क्लास के लोगों ने फायदा उठाया।' श्रुति ने बताया कि बाद में मुस्लिम क्लासमेट्स अपने धर्म के बारे में व्याख्या देने लगे। फिल्म में भी शालिनी नाम की लड़की की कहानी दिखाई गई है जो अपने दोस्तों से प्रभावित होती है और दूसरे धर्म में कन्वर्ट हो जाती है।
श्रुति ने बताया कि मुस्लिम दोस्त बोलते थे, 'परदा प्रथा लड़कियों की सुरक्षा के लिए है। अगर कोई भी उनकी बात को सुनता तो उसे लगता कि ये सही बात है। इस्लाम ही सही विचारधारा और ईश्वर की सही अवधारणा है। जीने का सही तरीका है... कुछ इसी तरह से वे एक्सप्लेन करते थे। धीरे-धीरे सुनना अच्छा लगने लगा। वे अपने धर्म के बारे में सिखाते थे।'
धर्मांतरण का दर्द झेल चुकीं श्रुति ने बताया कि मेरे मुस्लिम दोस्त बोलते थे कि हिंदू त्योहार ऐसे होते हैं जैसे लड़के और लड़की के मिलने के लिए हो रहा है। मंदिर में त्योहार मनाया जाता है। लेकिन वे इस बात का गलत तरीके से प्रचार करते कि वहां पुरुष महिलाओं का फायदा उठाते हैं। बॉडी टच को त्योहार से जोड़ा जाता था। वे बैड ऐंगल से व्याख्या कर रहे थे तो मन में सवाल उठने लगा कि ऐसा है क्या?
उन्होंने मुझे पर्चे और किताब पढ़ने के लिए दिए। मुस्लिम उपदेशक जाकिर नाइक की स्पीच सुनने के लिए सीडी दी गई। बहुत ज्यादा जानकारी वहां से मिल रही थी तो मैं भी बहुत कन्फ्यूज थी। मैं इंटरनेट पर सर्च करने लगी। इतनी बहक गई कि एक दिन... नमाज के लिए जा रही थी और मां बड़े प्यार से खाने को लेकर आई। मैं नमाज के चलते छू नहीं सकती थी, मां ने खाने के लिए जोर दिया तो मैंने काफिर मानते हुए अपनी मां पर ही हाथ उठा दिया।
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