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Gaus Pak Ki Karamat In Hindi गौस पाक की 10 अज़ीम करामत

Gaus Pak Ki Karamat In Hindi गौस पाक की 10 अज़ीम करामत

 

Gaus Pak Ki Karamat In Hindi गौस पाक की 10 अज़ीम करामत



Gaus Pak Ki Karamat In Hindi beshumar me se 10 azim karishme, chamtkar, गॉस पाक की बेशुमार में से 10 अज़ीम करामात हिंदी में और उनके करिश्मे चमत्कार

Gaus Pak Ki Karamat In Hindi - गॉसे ए आज़म अपने आप में एक अल्लाह की तरफ से करामत हैं आप का मुबारक नाम शरीफ एक करामत हैं जिसे लोग अपने लबो पर लाते थे तो गॉस पाक की नाम की बरकत से लोगो में कपकपी - थार-थर्राहट तारी हो जाती थी। 

वैसे तो गॉस पाक की बेशुमार करामत हैं अल्लाह के मदत से आप के सामने इस पोस्ट के जरिये जिसका नाम Gaus Pak Ki Karamat In Hindi में 10 करामत आप के लिए निचे दी गई हैं। 

इसे पढ़े और और गॉस पाक का क़ुरब हासिल करने के लिए इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर कर।

गॉस ए आज़म की 10 अज़ीम करामत Gaus Pak Ki Karamat In Hindi

( 1 ) साप वाला जिन्न

वलियों के सरदार , शहन्शाहे बगदाद , सरकारे गौसुल आ'जम Ghosul Azam अपने मद्रसे के अन्दर इज्तिमान में बयान फ़रमा रहे थे कि छत पर से एक सांप आप पर गिरा । 

सामिईन में भगदड़ मच गई , हर तरफ़ ख़ौफ़ो हिरास फैल गया मगर सरकारे बगदाद  अपनी जगह से न हिले । 

सांप आप के कपड़ों में घुस गया और तमाम जिस्मे मुबारक से लिपटता हुवा गरीबान शरीफ़ से बाहर निकला और गरदन मुबारक पर लिपट गया । 

मगर कुरबान जाइये ! मेरे मुर्शिद शहनशाहे बगदाद पर कि  ज़र्रा बराबर न घबराए न ही बयान बन्द किया । अब सांप ज़मीन पर आ गया और दुम पर खड़ा हो गया और कुछ कह कर चला गया । 

लोग जम्अ हो गए और अर्ज़ करने लगे : हुजूर ! सांप ने आप से क्या बात की ? 

इर्शाद फ़रमाया : सांप ने कहा : “ मैं ने बहुत सारे औलियाउल्लाह  को आज़माया मगर आप जैसा किसी को नहीं पाया ।

( 2 ) बड़ी बड़ी आंखों वाला आदमी 

इसी सांप नुमा जिन्न की दूसरी ख़ौफ़नाक हिकायत सुनिये और गौसे पाक  ghous paak की इस्तिकामत पर अकीदत से सर धुनिये चुनान्चे हुज़ूर शहन्शाहे बगदाद सरकारे गौसे पाक gaus azam फ़रमाते हैं :

एक बार मैं जामेए मन्सूर में मसरूफ़े नमाज़ था कि वोही सांप आ गया और उस ने मेरे सज्दे की जगह पर सर रख कर मुंह खोल दिया ! 

मैं ने उसे हटा कर सज्दा किया , मगर वोह मेरी गरदन से लिपट गया फिर वोह मेरी एक आस्तीन में घुस कर दूसरी आस्तीन से निकला , नमाज़ मुकम्मल करने के बाद जब मैं ने सलाम फैरा तो वोह ग़ाइब हो गया ।

दूसरे रोज़ जब मैं फिर उसी मस्जिद में दाखिल हुवा तो मुझे एक बड़ी बड़ी आंखों वाला आदमी नज़र आया मैं ने उसे देख कर अन्दाज़ा लगा लिया कि येह शख़्स इन्सान नहीं बल्कि कोई जिन्न है , 

वोह जिन्न मुझ से कहने लगा कि मैं आप को तंग करने वाला वोही सांप हूं , मैं ने सांप के रूप में बहुत सारे औलियाउल्लाह ) को जैसा किसी को भी साबित क़दम के दस्ते हक़ परस्त पर आज़्माया है मगर आप नहीं पाया , फिर वोह जिन्न आप ताइब हो गया । 

( 3 ) शैतान का ख़तरनाक वार 

Gaus Pak Ki Shaitan Ka Khatrank Vaar Ki Karamat In Hindi

सरकारे बग़दाद हुज़ूरे गौसे पाक ; फ़रमाते हैं : एक बार मैं किसी जंगल की तरफ निकल गया और कई रोज़ तक वहां पड़ा रहा । खाने पीने को कुछ भी न होता था । 

मुझ पर प्यास का सख्त ग - लबा था , ऐसे में मेरे सर पर एक बादल का टुकड़ा नुमूदार हुवा , उस - में में से कुछ बारिश के क़तरे गिरे जिन्हें मैं ने पी लिया , इस के बा'द बादल एक नूरानी सूरत ज़ाहिर हुई जिस से आस्मान के कनारे रोशन हो गए । 

और एक आवाज़ गूंजने लगी : “ ऐ अब्दुल कादिर ! मैं तेरा रब हूं , मैं ने तमाम हराम चीजें तेरे लिये हलाल कर दीं ।

 " मैं ने पढ़ा , एक दम रोशनी ख़त्म हो गई और उस ने धूएं का रूप धार लिया और आवाज़ आई : “ ऐ अब्दुल कादिर ! 

इस से क़ब्ल मैं सत्तर  : औलिया को गुमराह कर चुका हूं मगर तुझे तेरे इल्म ने बचा लिया । 

" आप  फ़रमाते हैं : मैं ने कहा : ऐ मरदूद ! मुझे मेरे इल्म ने नहीं बल्कि मेरे रब के फ़ज़्ल ने बचा लिया । 

( ऐज़न , स . 228 ) 

( 4 ) शैतान के मज़ीद (बहुत सारे) हमले

Gaus Pak Ki Shaitan Ke Bahut Hmale Karamat In Hindi

पीरों के पीर , पीर दस्त गीर , रोशन जमीर , कुत्बे रब्बानी , महबूबे सुब्हानी , पीरे ला सानी , गौसुस्स- मदानी , पीरे पीरां , मीरे मीरां , अश्शैख़ सय्यद अबू मुहम्मद अब्दुल कादिर जीलानी तहृदीसे ने'मत और अहले महब्बत की नसीहत के लिये फ़रमाते हैं : 

मैं जिन दिनों शबो रोज़ जंगल में रहा करता था , शयातीन ख़ौफ़नाक शक्लों में फ़ौज दर फ़ौज तरह तरह के हथियारों से लैस हो कर मुझ पर हम्ला आवर होते , 

मुझ पर आग बरसाते , मैं अल्लाह की मदद से उन के पीछे दौड़ता तो वोह मुन्तशिर हो कर भाग जाते , कभी कोई शैतान अकेला आ कर मुझे तरह तरह से डराता , धमकाता और कहता यहां से चले जाओ । मैं उस को जोरदार तमांचा मार देता तो वोह भागने लगता , फिर मैं पढ़ता तो वोह जल जाता । 

( 5 ) गैबी हाथ

 Gaus Pak Ki Gaib Hanth Ki Karamat In Hindi

हुज़ूरे गौसे आज़म gaus e azam फ़रमाते हैं : एक बार निहायत ख़ौफ़नाक सूरत वाला एक शख़्स जिस से बदबू के भब्के उठ रहे थे आ कर मेरे सामने खड़ा हो गया और कहने लगा : 

मैं इब्लीस हूं और आप की ख़िदमत करने के लिये हाज़िर हुवा हूं क्यूं कि आप ने मुझे और मेरे चेलों को थका दिया है । मैं ने कहा : दफ़्अ हो । उस ने इन्कार किया । 

इतने में ग़ैब से एक हाथ नुमूदार हुवा जिस ने उस के सर पर ऐसी ज़ोरदार ज़र्ब लगाई कि वोह ज़मीन में धंस गया मगर फिर उस ने आग का शो ' ला हाथ में ले कर मुझ पर हमला कर दिया ।

( 6 ) शैतान के जाल 

Gaus Pak Ki Shaitan Ke Zaal Ki Karamat In Hindi

सरकारे बग़दाद हुज़ूरे गौसे पाक gaus e paak  ; फ़रमाते हैं : एक बार मैं ने देखा कि शैतान दूर बैठा अपने सर पर ख़ाक उड़ा रहा है और रोते हुए कह रहा है :

 " ऐ अब्दुल कादिर ! मैं आप से मायूस हो गया हूं । " मैं ने कहा : ऐ मल्ऊन ! दफ़्अ हो , मैं तुझ से कभी भी बे ख़ौफ़ नहीं हो सकता । वोह बोला : आप की येह बात मेरे लिये सब से ज़ियादा गिरां ( या'नी सख़्त ) है । 

इस के बाद उस ने मुझ पर बहुत सारे जाल , फन्दे और हीले जाहिर किये और मेरे इस्तिफ़्सार ( या'नी पूछने पर बताया कि येह दुन्या के जाल हैं जिन से मैं आप जैसों का मैं शिकार किया करता हूं । 

मैं एक साल तक जिद्दो जुहद करता रहा , यहां तक कि वोह सारे जाल टूट गए । फिर मेरे इर्द गिर्द बहुत सारे अस्बाब ज़ाहिर हुए । 

मैं ने पूछा : येह क्या हैं ? तो कहा गया कि येह आप से मु - तअल्लिक मखलूक के अस्बाब ( या'नी मखलूक की महब्बतें वगैरा ) हैं । 

इस मुआ - मले में भी मैं ने मजीद एक साल तवज्जोह ( जिद्दो जुहद ) की हुत्ता कि वोह जाल भी सब के सब टूट गए । 

( 7 ) सर्द रात में चालीस बार गुस्ल 

aus Pak Ki Sard Raat Me Chalis Baar Gusal Ki Karamat In Hindi

बजतुल असरार शरीफ़ " में है , सरकारे बगदाद हुज़ूरे गौसे पाक  फ़रमाते हैं : मैं " कर्ख " के जंगलों में बरसों रहा हूं , दरख़्त के पत्तों और बूटियों पर मेरा गुज़ारा होता । 

मुझे पहनने के लिये हर साल एक शख़्स सूफ़ ( या'नी ऊन ) का एक जुब्बा ला कर देता था जिस को मैं पहना करता था | 

मैं ने दुन्या की महब्बत से नजात हासिल करने के लिये हज़ार जतन किये , मैं गुमनाम रहा , मेरी खामोशी के सबब लोग मुझे गूंगा , नादान और दीवाना कहते थे , 

मैं कांटों पर नंगे पाउं चलता था , ख़ौफ़नाक गारों और भयानक वादियों में बे झिजक दाख़िल हो जाता । दुन्या बन संवर कर मेरे सामने ज़ाहिर होती मगर मैं उस की तरफ इल्तिफ़ात ( या'नी तवज्जोह ) न करता । 

मेरा नफ़्स कभी मेरे आगे आजिज़ी करता कि आप की जो मरज़ी होगी वोही करूंगा और कभी मुझ से लड़ता । अल्लाह  मुझे उस पर फत्ह नसीब करता । 

मैं मुद्दतों " मदाइन " के बियाबानों में रहा और अपने नफ़्स को मुजा - हदात में लगाता रहा । एक साल तक गिरी पड़ी चीजें खाता और बिल्कुल पानी न पीता फिर एक साल सिर्फ़ पानी पर गुज़ारा करता 

और गिरी पड़ी चीज़ या कोई और गिज़ा न खाता फिर एक साल बिगैर कुछ खाए पिये फ़ाक़े से गुज़ारता । मुझ पर सख़्त आज़माइशें आतीं , एक बार सख़्त सर्दी की रात मेरा यूं इम्तिहान लिया गया कि बार बार आंख लग जाती 

इतने में एक निक़ाब पोश साहिब घोड़े पर सुवार तशरीफ़ लाए और उन्हों ने मुझे तलवार दी । येह देख कर शैतान भाग खड़ा हुवा । 

( 8 ) नींद उड़ाने का अजीब नुस्खा 

Gaus Pak Ki Need Udhane Ka Azib Nuskha Ki Karamat In Hindi

सरकारे ग़ौसुल आ'ज़मतहदीसे ने'मत और मैं पच्चीस 25 अपने गुलामों की नसीहत के लिये फ़रमाते हैं : 14 साल तक इराक़ के वीरानों में फिरता रहा 

और चालीस 40 साल तक इशा की नमाज़ के वुज़ू से फज्र की नमाज़ अदा की । पन्दरह 15 साल तक रोज़ाना बा ' दे नमाज़े इशा नवाफ़िल में एक कुरआने पाक ख़त्म करता रहा । 

इब्तिदा में अपने बदन पर रस्सी बांध कर उस का दूसरा सिरा दीवार में गड़ी हुई खूंटी से बांध दिया करता था ताकि अगर नींद का ग़ - लबा हो तो इस के झटके से आंख खुल जाए । 

एक रात जब मैं ने अपने मा ' मूलात का कुस्द किया तो नफ़्स ने सुस्ती करते हुए थोड़ी देर सो जाने और बाद में उठ कर इबादत बजा लाने का मश्वरा दिया , 

जिस जगह दिल में येह ख़याल आया था उसी जगह और उसी वक़्त एक क़दम पर खड़े हो कर मैं ने एक कुरआने करीम खत्म किया ।

( 9 ) ज़मीन से चुन चुन कर टुकड़े खाना 

Gaus Pak Ki Zamin Se Chun Ke tukde Khana Ki Karamat In Hindi

से सरकारे बग़दाद हुज़ूरे गौसे पाक फ़रमाते हैं : मैं शहर में खाने के इरादे से गिरे पड़े टुकड़े या जंगल की कोई घास या पत्ती उठाना चाहता और जब देखता कि दूसरे फु - कुरा भी इसी की तलाश में हैं 

तो अपने इस्लामी भाइयों पर ईसार करते हुए न उठाता बल्कि यूंही छोड़ देता ताकि वोह उठा कर ले जाएं और खुद भूका रहता । 

जब भूक के सबब कमज़ोरी हद से बढ़ी और क़रीबुल मौत हो गया तो मैं ने फूल वाले बाज़ार से एक खाने की चीज़ जो ज़मीन पर पड़ी थी उठाई और से एक कोने में जा कर उसे खाने के लिये बैठ गया । 

इतने में एक अ - जमी नौ जवान आया , उस के पास ताज़ा रोटियां और भुना हुवा गोश्त था वोह बैठ कर खाने लगा , उस को देख कर मेरी खाने की ख़्वाहिश एक दम शिद्दत इख़्तियार कर गई , 

जब वोह अपने खाने के लिये लुकमा उठाता तो भूक की बेताबी की वजह से बे इख़्तियार जी चाहता कि मैं मुंह खोल दूं ताकि वोह मेरे मुंह में लुक्मा डाल दे । 

आखिर मैं ने अपने नफ़्स को डांटा कि “ बे सब्री मत कर अल्लाह , मेरे साथ है , चाहे मौत आ जाए मगर मैं इस नौ जवान से मांग कर हरगिज़ नहीं खाऊंगा । " 

यकायक वोह नौ जवान मेरी तरफ़ मु तवज्जेह हुवा और कहने लगा : भाई ! आ जाइये आप भी खाने में शरीक हो जाइये ! 

मैं ने इन्कार किया , उस ने इस्रार किया , मेरे नफ़्स ने मुझे खाने के लिये बहुत उभारा लेकिन मैं ने फिर भी इन्कार ही किया मगर उस नौ जवान के पैहम इस्रार मैं ने थोड़ा सा खाना खा लिया , 

उस ने मुझ से पूछा : आप कहां के रहने वाले हैं ? मैं ने कहा : जीलान का । वोह बोला : मैं भी जीलान पर ? ही का हूं । 

अच्छा येह बताइये आप मशहूर जाहिद हज़रते सय्यद अबू अब्दुल्लाह सौ - मई नवासे अब्दुल कादिर को जानते   हैं ? 

मैं ने कहा : वोह तो मैं ही हूं । येह सुन कर वोह बे क़रार हो गया और कहने लगा कि मैं बगदाद आने लगा तो आप की अम्मीजान ने आप को देने के लिये मुझे 8 सोने की अशरफियां दी थीं , 

मैं यहां बग़दाद आ कर तलाशता रहा मगर आप का किसी ने पता न दिया यहां तक कि मेरी अपनी तमाम रक़म खर्च हो गई , तीन दिन तक मुझे खाने को कुछ न मिला , 

मैं जब भूक से निढाल हो गया और मेरी जान पर बन गई तो मैं ने आप की अमानत में से येह रोटियां और भुना हुवा गोश्त ख़रीदा | 

हुज़ूर ! आप भी बखुशी इसे तनावुल फ़रमाइये कि येह आप ही का माल है पहले आप मेरे मेहमान थे और अब मैं आप का मेहमान हूं , 

बक़िय्या रक़म पेश करते हुए बोला : मैं मुआफ़ी का तलब गार हूं , मैं ने इज़्तिरारी हालत में आप की रक़म ही से खाना ख़रीदा था | 

मैं बहुत खुश हुवा । । ने बचा हुवा खाना और मज़ीद कुछ रक़म उस को पेश की , उस ने क़बूल ने की और चला गया ।

( 10 ) साहिबे कब की इमदाद (मदद)

Gaus Pak Ki Imadad Ki Karamat In Hindi

पीरों के पीर , पीर दस्त गीर , रोशन ज़मीर , शैख अब्दुल कादिर " जीलानी बरोज़ बुध 27 जुल हिज्जतिल हराम सि . 529 हि . को “ शूनीज़िया ” के क़ब्रिस्तान में अपने उस्ताजे मोहुतरम हज़रते सय्यिदुना शैख़ हम्माद के मजार शरीफ़ पर उ - लमा व - फु- कुरा के काफिले के हमराह तशरीफ़ ले आए 

और काफी देर तक खड़े खड़े दुआ फ़रमाते रहे यहां तक कि धूप बहुत तेज़ हो गई । जब लौटे तो आप  के चेहए अन्वर पर बशाशत के आसार थे । 

जब आप  से इस क़दर तवील दुआ का सबब दरयाफ्त किया गया तो फ़रमाया : 15 शा बानुल मुअज़्ज़म सि . 499 हि . बरोज़ जुमुआ नमाज़े जुमुआ अदा करने के लिये इस मज़ार शरीफ़ में आराम फ़रमाने वाले मेरे उस्ताज़े गिरामी सय्यिदुना शैख़ हम्माद के साथ एक क़ाफ़िला जानिबे “ जामिर्रसाफ़ह " रवां दवां था । 

रास्ते में ने २ . जब एक नहर के पुल पर से गुजरे तो शैख़ हम्माद अचानक मुझे धक्का दे कर नहर में गिरा दिया , सख़्त सर्दियों के दिन थे , 

मैं ने बिस्मिल्लाह पढ़ कर गुस्ले जुमुआ की निय्यत कर ली , जूं तूं पानी से निकला और अपना सूफ़ ( या'नी ऊन ) का जुब्बा निचोड़ा और क़ाफ़िले से जा मिला । 

शैख़ हम्माद के मुरीद खुश तबई करने लगे , आप ने उन्हें डांटा और फ़रमाया : मैं ने अब्दुल क़ादिर का इम्तिहान लिया जिस में इन को पहाड़ की तरह मुस्तहूकम पाया । 

हुज़ूरे गौसे आज़म ने मजीद फ़रमाया कि मैं ने अपने उस्ताज़ सय्यिदुना शैख़ हम्माद को उन के मज़ारे पुर अन्वार में हीरे 

और जवाहिरात के लिबास में मल्बूस सर पर याकूत का ताज पहने , हाथों में सोने के कंगन और पाउं में सोने के ना ' लैने शरीफ़ैन में मुला - हज़ा किया , मगर तअज्जुब ख़ैज़ बात जो देखी वोह येह थी कि उन का दायां ( या नी सीधा ) हाथ काम नहीं कर रहा था ! 

मेरे इस्तिफ़्सार पर बताया : " येह वोही हाथ है जिस से मैं ने आप को नहर में धकेला था , क्या आप मुझे मुआफ़ करते हैं ? " 

जब मैं ने मुआफ़ कर दिया तो उन्हों ने कहा कि आप अल्लाह की बारगाह में दुआ फ़रमा दीजिये कि मेरा दायां हाथ दुरुस्त हो जाए ।

लिहाज़ा मैं अल्लाह से दुआ मांगता रहा और पांच हज़ार असहाबे मज़ार औलियाउल गुफ़्फ़ार अपने अपने मज़ार में आमीन कहते और मेरी सिफारिश करते रहे यहां तक कि अल्लाह ने उन का दायां हाथ दुरुस्त फ़रमा दिया जिस से उन्हों ने खुश हो कर मुझ मुसा फ़हा किया । 


बगदादे मुअल्ला में येह ख़बर जब मशहूर हुई तो सय्यिदुना शैख हम्माद गुड़ के बा'ज़ मुरीदीन पर शाक़ गुज़रा और वोह तस्दीक़ के लिये दरबारे गौसिया में हाज़िर हुए मगर आप की हैबत के सबब किसी को पूछने की हिम्मत न हुई । 

पीरों के पीर , रोशन ज़मीर , हुज़ूरे गौसुल आ'ज़म दस्तगीर ने उन लोगों के दिलों का हाल जान लिया और खुद ही इर्शाद फ़रमाया : आप हज़रात दो ± शैख् पसन्द कर लें जो आप का येह मस्अला हल करें । 

येह मुआ - मला हज़रते सय्यदुना शैख़ यूसुफ़ हमदानी और हज़रते सय्यदुना शैख़ अब्दुर्रहमान कुर्दी , जो कि असहाबे कश्फ़ थे उन्हें सोंप दिया गया और हुज़ूरे गौसुल आजम की ख़िदमत में अर्ज़ कर दी गई 

कि हम आप को जुमुआ तक मोहलत देते हैं कि येह दोनों हज़रात आप की तस्दीक कर दें । 

हज़रते सय्यिदुना गौसे आज़म ने फ़रमाया : आप हज़रात यहां से उठने भी न पाएंगे कि मस्अला हुल हो जाएगा । येह फ़रमा कर हुज़ूरे गौसे आ’ज़म ने सरे अन्वर झुका लिया । 

तमाम हाज़िरीन ने भी अपना सर झुका लिया । इतने में हज़रते सय्यदुना शैख़ यूसुफ़ हमदानी पा बरह्ना ( या'नी नंगे पाउं ) जल्दी जल्दी तशरीफ़ लाए 

और ए ' लान किया कि अल्लाह के हुक्म से अभी अभी मुझ पर शैख़ ज़ाहिर हुए और हुक्म दिया कि फ़ौरन शैख़ अब्दुल के मद्रसे में जा कर सब को बता दो :  

आप हज़रात को मेरे हम्माद क़ादिर जीलानी “ शैख़ अब्दुल कादिर जीलानी बारे में जो कुछ बताया है वोह सच है । " इतने में हज़रते सय्यदुना शैख़ अब्दुर्रहमान कुर्दी  भी आ गए और उन्हों ने भी हज़रते

सय्यिदुना शैख़ यूसुफ़ हमदानी की तरह ही कहा । इस पर तमाम हज़रात ने हुज़ूरे गौसे आज़म Gaus Pak से मुआफ़ी मांगी ।

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